
बिहार में चुनाव आयोग के Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के तहत 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से कट गए। पूरा विपक्ष कह रहल बा — “ई SIR ना, ई त वोटर के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ हौ!”
65 लाख लोग कहां गए? – मनोज झा बोले ‘ई त विलोपन नीति बा!’
राजद सांसद मनोज झा गरमा गए। बोले:
“ई SIR ना, ई ‘Special Intensive Removal’ ह। 65 लाख लोग कहाँ उड़ गइल? सुप्रीम कोर्ट कहता कि आधार लिंकिंग जरूरी ना, तब ई स्क्रिप्ट किसने थमाया चुनाव आयोग के?”
मनोज झा ने संसद में बहस की मांग की, बोले:
“सदन के तिहाड़ जेल बना देल गइल बा। लोकतंत्र में सवाल पूछल अब गुनाह हो गइल का?”
कांग्रेस के ‘रंजन नीति’ – पारदर्शिता पर सवाल
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन भी भड़क गईं:
“36 लाख लोग ‘लापता’ बता रहे हैं! अगर सबकुछ सही बा त संसद में बहस से डर का? हम चुप ना बैठेंगे।”
उनका हिसाब से, “अगर वोटर के अधिकार छीना गया, त लोकतंत्र के ईंट से ईंट बजा देंगे।”
जेडीयू का जवाब – ‘आयोग करे अपना काम, तू देख अपना धंधा’
जेडीयू सांसद संजय झा बोले:
“विपक्ष खुद सुप्रीम कोर्ट गया बा। आयोग ने समय भी दिया है सुधार के लिए। अब ई लोग चिल्ला काहे रहा?”
उनका बात में ठसक रही –
“जवन काम चुनाव आयोग के बा, ओही कर रहल बा। सब बवाल खाली राजनीति बा।”
वोटबंदी या सुधार? – जनता कन्फ्यूज्ड
बिहार के मतदाता अब सोचत बा –
“ई त नोटबंदी से भी तेज निकास ह! कल तक वोट दे रहे थे, आज नाम ही नाहीं!”
SIR का असली मतलब?
SIR – Special Intensive Revision
लेकिन विपक्ष बोले – SIR = Special Invisible Removal
कुल वोटर संख्या अब 7.24 करोड़
Draft जारी – 1 अगस्त
आपत्ति दाखिल की आखिरी तारीख – जल्द घोषित होगी
वोटर लिस्टवा में भी हो गइल ‘वोटर योगासन’ – जेका चाहs, ओका मोड़ दे!
बिहार में 2025 चुनाव से पहिले वोटर लिस्ट का ‘सफाई अभियान’ में राजनीति के डिटर्जेंट मिल गइल बा। अब देखल जाव कि ये 65 लाख गायब वोटर लोकतंत्र के छूट हउअन कि चुनावी गणित के भूलचूक?
विपक्ष गरम, सत्तापक्ष ठंडा — और जनता बोले:
“नाम हटावे के बहाना बा… का वोट दिहल भी अब जुर्म हो गइल?”
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